अपनी यात्रा की पहली रात कोहलपुर में बिताने के बाद हम लोग अगली सुबह कोहलपुर से आगे निकल गए, और हमने लुम्बिनी जाने का निर्णय लिया और हम लोग लुम्बिनी के लिए निकल पड़े।
लुम्बिनी में राजकुमार सिद्धार्थ की जन्मस्थली मानी जाती है जो आगे चलकर बौद्ध घर्म के संस्थापक बने और गौतम बुद्ध के नाम से विश्व भर मे प्रसिद्ध हुये।
लुम्बिनी एक आध्यात्मिक जगह है,जहां पर अध्यात्म को मानने वाले लोगो का आवागमन वर्ष भर रहता है।
लुम्बिनी बौद्ध धर्म के लोगो के लिए एक तीर्थ है और दुनिया भर के बौद्ध धर्म के अनुयायी यहां पर आते है।
लुम्बिनी छेत्र नेपाल के तराई वाले भाग में आता है, यहां से थोड़ी ही दूरी पर भारत का छेत्र शुरू हो जाता है,हम लोग मध्य अक्टूबर के महीने में गए थे फिर भी लुम्बिनी में बहुत गर्मी हो रही थी।
लुम्बिनी में बहुत से मंदिरो एवं मठों का निर्माण कराया जा रहा है जो की अलग अलग देशो के बौद्ध घर्म के अनुयायियों द्वारा या वहा की सरकार द्वारा निर्माण किया जा रहा है जो की बहुत ही सुंदर दिख रहे है। जैसे श्रीलंका , भूटान ,म्यांमार ,चीन आदि देशो के बौद्ध मठ बने है।
समय के अभाव के कारण हम लोग सभी मंदिरो एवं मठो के दर्शन नहीं कर पाए क्योकि हमें अपने आगे की यात्रा को निकलना था जिसके कारण हम लोगो ने सिर्फ मायादेवी के मंदिर के दर्शन किये जिसको राजकुमार सिद्धार्थ के जन्म स्थान माना जाता है।
मायादेवी मंदिर के अंदर जो शिला राखी गयी है उसे सिद्धार्थ के जन्म के स्थान की शिला माना जाता है और यहां पर अशोक स्तम्भ के शिला भी राखी गयी है।
इसी मंदिर के भीतर शिला रखी गयी है।
मायादेवी के दर्शन के उपरांत हम लोग भैरवा के लिए निकल पड़ेजो कि 20 कि0 मी0 की दूरी पर है यहा से हम लोग बुटवल होते हुए नारायणगढ़ (भरतपुर) पहुंचे तथा में रात्रि विश्राम नारायणगढ़ में किया।
कैसे जाये
लुम्बिनी जाने के लिए गोरखपुर (भारत ) से भैरवा होते हुये निकट है वैसे आप लखनऊ (भारत ) से नेपालगंज -कोहलपुर से जा सकते है जो की लगभग 240 किमी0 है और ४ घंटे का समय लगता है अगर आप भारत से जा रहे हो तो।
कब जाये
लुम्बिनी, नेपाल का तराई का छेत्र है, साल के बारह महीने आप यहा जा सकते है फिर भी ग्रीष्म ऋतु में जाने से बचे क्योकि यहा पर काफी गर्मी पड़ती है।
कहां ठहरे
हम लोगो को काठमांडू जाना था तो हमने लुम्बिनी में रात्रि विश्राम नहीं किया। लुम्बिनी में बहुत से होटल एवं गेस्ट हाउस है जहा पर किफायती दरों पर ठहरा जा सकता है।
अगर आप लुम्बिनी जाना चाहते है तो २-३ दिन के लिए जाइये क्योकि आप पूरी लुम्बिनी को १ दिन में नहीं देख सकते है।
लुम्बिनी में राजकुमार सिद्धार्थ की जन्मस्थली मानी जाती है जो आगे चलकर बौद्ध घर्म के संस्थापक बने और गौतम बुद्ध के नाम से विश्व भर मे प्रसिद्ध हुये।
लुम्बिनी एक आध्यात्मिक जगह है,जहां पर अध्यात्म को मानने वाले लोगो का आवागमन वर्ष भर रहता है।
लुम्बिनी बौद्ध धर्म के लोगो के लिए एक तीर्थ है और दुनिया भर के बौद्ध धर्म के अनुयायी यहां पर आते है।
लुम्बिनी छेत्र नेपाल के तराई वाले भाग में आता है, यहां से थोड़ी ही दूरी पर भारत का छेत्र शुरू हो जाता है,हम लोग मध्य अक्टूबर के महीने में गए थे फिर भी लुम्बिनी में बहुत गर्मी हो रही थी।
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लुम्बिनी नेपाल |
लुम्बिनी में बहुत से मंदिरो एवं मठों का निर्माण कराया जा रहा है जो की अलग अलग देशो के बौद्ध घर्म के अनुयायियों द्वारा या वहा की सरकार द्वारा निर्माण किया जा रहा है जो की बहुत ही सुंदर दिख रहे है। जैसे श्रीलंका , भूटान ,म्यांमार ,चीन आदि देशो के बौद्ध मठ बने है।
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गौतम बुद्ध की प्रतिमा |
मायादेवी मंदिर के अंदर जो शिला राखी गयी है उसे सिद्धार्थ के जन्म के स्थान की शिला माना जाता है और यहां पर अशोक स्तम्भ के शिला भी राखी गयी है।
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मायादेवी मंदिर |
इसी मंदिर के भीतर शिला रखी गयी है।
मायादेवी के दर्शन के उपरांत हम लोग भैरवा के लिए निकल पड़ेजो कि 20 कि0 मी0 की दूरी पर है यहा से हम लोग बुटवल होते हुए नारायणगढ़ (भरतपुर) पहुंचे तथा में रात्रि विश्राम नारायणगढ़ में किया।
कैसे जाये
लुम्बिनी जाने के लिए गोरखपुर (भारत ) से भैरवा होते हुये निकट है वैसे आप लखनऊ (भारत ) से नेपालगंज -कोहलपुर से जा सकते है जो की लगभग 240 किमी0 है और ४ घंटे का समय लगता है अगर आप भारत से जा रहे हो तो।
कब जाये
लुम्बिनी, नेपाल का तराई का छेत्र है, साल के बारह महीने आप यहा जा सकते है फिर भी ग्रीष्म ऋतु में जाने से बचे क्योकि यहा पर काफी गर्मी पड़ती है।
कहां ठहरे
हम लोगो को काठमांडू जाना था तो हमने लुम्बिनी में रात्रि विश्राम नहीं किया। लुम्बिनी में बहुत से होटल एवं गेस्ट हाउस है जहा पर किफायती दरों पर ठहरा जा सकता है।
अगर आप लुम्बिनी जाना चाहते है तो २-३ दिन के लिए जाइये क्योकि आप पूरी लुम्बिनी को १ दिन में नहीं देख सकते है।